मधुरिम मधुरिम ...
Saturday, 30 April 2016
"मोरें ह्रद्य परम संदेहा ।
सुनि कपि प्रगट कीन्हि निज देहा । ।
कनक भूधराकार सरीरा ।
समर भयंकर अतिबल बीरा । ।
सीता मन भरोस तब भयऊ ।
पुनि लघु रूप पवनसुत लयऊ । । "
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