Wednesday, 24 June 2015

खुशियो से भरी पासबुक



प्रिया और हितेश की शादी हुई। शादी पूरी होने के बाद प्रिया की मां ने उसे 1000  रुपये जमा के साथ एक नए खाते की पासबुक दी।

मां:  प्रिया इसे शादी के रिकॉर्ड के तौर पर रखना। जब कुछ अच्छा हो तो बैंक में कुछ पैसे जमा करके पासबुक में उसके सामने खुशी की एंट्री करना। शुरुआत मैंने कर दी है। अब तुम इसे हितेश के साथ पूरी करना।
प्रिया ने घर आने पर हितेश को बताया। उसे भी विचार पसंद आया। वे दोनों सोचने लगे कि अब कब दूसरी एंट्री होगी। कुछ समय बाद इस तरह एंट्री होने लगी..
7 फरवरी: 100 रुपये, शादी के बाद हितेश की पहली जन्मदिन पार्टी।
1 मार्च:  300 रुपये। प्रिया के वेतन में बढ़ोतरी।
20 मार्च:   200 रुपये, बाली की सैर।
15 अप्रैल:  2000 रु. माता-पिता बनना।
सालों तक इसी तरह एंट्री होती रही। लेकिन समय बदला। बाद में वे छोटी-छोटी बातों पर लड़ने लगे। आपस में उनकी बातें भी कम हो गयीं। उन्हें लगने लगा कि दोनों साथ नहीं रह सकते। प्रिया ने अलग होने की बात अपनी मां को बतायी।

मां: कोई बड़ी बात नहीं। जो चाहती हो, वही करो। पर पहले एक काम करो। अपनी शादी वाली पासबुक ले आओ। अब उसका कोई इस्तेमाल नहीं। इसलिए वो खाता बंद कर दो। प्रिया को बात सही लगी। वह बैंक गयी और लाइन में खड़ी बारी का इंतजार करने लगी। वह अपनी पासबुक पलटने लगी। एक-एक करके मन खुशियों से भर गया। आंखों में आंसू आने लगे। उसने घर आकर हितेश को वह पासबुक दी और कहा कि तलाक से पहले यह खाता बंद करा दो।
अगले दिन हितेश ने पासबुक प्रिया को दी। उसमें 5000 रुपये की एक नई एंट्री थी। उसके सामने लिखा था, 'आज मैंने जाना कि इतने सालों में मैंने तुम्हें कितना प्यार किया है। वे गले मिलकर रोने लगे। पासबुक को फिर से नयी एंट्री के लिए सुरक्षित रख दिया।


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