Tuesday, 18 August 2015

भोले भण्डारी की बारात



हो..शिवजी बिहाने चले
पालकी सजाय के
भभूति लगाय के, हाँ ..
ओ शिवजी बिहाने चले पालकी सजाय के
भभूति लगाय के, पालकी सजाय के, हाँ ...
हो.. जब शिव बाबा करे तैय्यारी
कईके सकल समान हो..
दईने अंग त्रिशूल विराजे
नाचे भूत शैतान हो..
ब्रह्मा चले विष्णु चले
लईके वेद पुरान हो..
शंख, चक्र और गदा धनुष लै
चले श्री भगवान हो...
और बन-ठन के चलें बम भोला
लिये भांग-धतूर का गोला
बोले ये हरदम
चले लाड़का पराय के..
हो भभूति लगाय के
पालकी सजाय के... हाँ ....
हो शिवजी बिहाने चले....

ओ माता मतदिन पर चंचललि
 तिलक जलि लिल्हार हो
 काला नाग गर्दन के नीचे
वोहू दियन फ़ुफ़कार हो..
लोटा फ़ेंक के भाग चलैलि
ताविज निकल लिलार हो..
इनके संगे बिबाह ना करबो
गौरी रही कुंवारी हो
कहें पारवती समझाईं
बतियाँ मानो हमरो माईं
जै भराइलै हाँ हम करमवा लिखाय के
भभूति लगाय के
पालकी सजाय के... हाँ...
हो शिवजी बिहाने चले....

ओ.. जब शिव बाबा मंडवा गईले
होला मंगलाचार हो
बाबा पंडित वेद विचारे
होला गस्साचार हो
बजरबाटी की लगी झालरी
नागिन की अधिकार हो
विज मंडवा में नावन अईली
करे झंगन वडियार हो..
एगो नागिन गिले विदाई
हो भभूति लगाय के
पालकी सजाय के.. हाँ..
हो शिवजी बिहाने चले...

ओ कोमल रूप धरे शिवशंकर
 खुशी भये नर-नारी हो
राजहि नाचन गान करईले
इज्जत रहें हमार हो
रहें वर साथी शिवशंकर से
केहू के ना पावल पार हो
इनके जटा से गंगा बहिली
महिमा अगम अपार हो..
इनको तीनो लोक दिखाये
कहे दुःखहरन
 यही छड़ो बनवाए के
 भभूति लगाय के
 पालकी सजाय के हाँ..


                              " हर-हर महादेव "



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