मैं अपने रास्ते जा रहा था। मुझे कुछ सामान लेना था। तभी मेरी नजर एक आदमी पर गई। जिसकी उम्र करीब २९-३० साल होगी। वह बिलकुल पुल के किनारे खड़ा था। मैंने कहा 'अजीब आदमी है '. मैं रुक गया और उससे पुछा कि क्या वह ठीक है ?उसकी आँखों से लग रहा था कि वह ठीक नहीं है
उसने कुछ नहीं कहा। मैं उसकी आँखों से निकल रहे आंसुओ को देख रहा था। मैं कुछ नहीं बोला। उसे खुद को सँभालने दिया। मैं पास की सीढ़ियों पर बैठ गया। वह भी मेरे पास बैठ गया। हम करीब ४५ मिनिट तक बात करते रहे। वह बता रहा था की उसके साथ क्या हुआ ,किस बात का दुख है और क्यों वह इतना अकेला हो गया है। मैं उसे वहा अकेला नहीं छोड़ सकता था, लेकिन मुझे जाना भी जरुरी था
मैं एम्बुलेंस को फ़ोन करने लगा और कहा की वे उसकी सहायता करेंगे। पर वह ऐसा करने से मन करने लगा ,प्लीज एम्बुलेंस मत बुलाएं। मैं ठीक हूँ.मैं बस थोड़ी देर की चहलकदमी की बाद ठीक हो जाऊंगा। पर मुझे ऐसी हालत में उसे वहा अकेला छोड़ना सही नहीं लगा। मैंने एम्बुलेंस को फ़ोन किया वह उसे हॉस्पिटल ले गई मैंने उसका नंबर ले लिया ,ताकि जान सकु कि वह कैसा है।
३-४ महीने बाद उसने संदेश भेजा की उसकी पत्नी माँ बनने वाली है ,और उसको जो बच्चा होगा वे उसका नाम मेरे नाम पर रखेंगे। मैं हैरान था कि वे अपने बच्चे का नाम मुझ पर रखने जा रहे थे
उसने बताया कि जब मैं उसके पास पंहुचा था तो वह बस कूद कर आत्महत्या करने वाला था। मेरे कुछ शब्दों ने उसकी जिंदगी को बचा लिया था। वह बोला ,'मेरे दिमाग़ में अभी भी ,"
क्या आप ठीक है " के शब्द गूंजते रहते है। '
मैं वाकई समझ नहीं पा रहा था कि ये शब्द कैसे जिंदगी बचा सकते है ? पर उसने कहा ,एक बार सोच कर देखे की अगर आपने उस वक्त नहीं पुछा होता कि 'क्या आप ठीक है ' तो क्या मैं आज ...................
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