जीवन का बड़ा भाग इसी घर में गुजर गया, पर कभी आराम न नसीब हुआ। मेरे पति संसार की नजर मे बड़े सज्जन , बड़े शिष्ट, बड़े उदार ,बड़े सौम्य होंगे। लेकिन जिस पर गुजरती है वो ही जनता है
संसार को उन लोगो की प्रशंसा करने में आनंद आता है ,जो अपने घर को भाड़ में झोंक रहे हो ,गैरो के पीछे अपना सर्वनाश कर डालते हो। जो प्राणी घरवालो के लिए मरता है ,उसकी प्रशंसा संसार वाले नहीं करते। वह तो उनकी दृष्टि में स्वार्थी है, कृपण है ,संकीर्ण हृदय है
प्रशंसा के योग्य तो मात्र हरी का दास है
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